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एक शोधकर्ता ने पुष्टि की हैं कि सुरक्षित मुसली के परिणामस्वरूप वीर्य की मात्रा, शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणु गतिशीलता और प्रतिशत सामान्य शुक्राणु आकृति विज्ञान में सांख्यिकीय वृद्धि हुई हैं। पौधे का पानी का अर्क सेवन के लिए अत्यधिक सुरक्षित साबित हुआ और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर के साथ शुक्राणुओं की गिनती में सुधार करने में मदद करता हैं। अध्ययन से यह भी पता चला हैं कि सकारात्मक प्रभावों के साथ, सेफेड मुसली कोई प्रतिकूल प्रभाव पैदा नहीं करता हैं, और परीक्षण रन लोगों के लिए स्वस्थ हैं।
सुजाक एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित रोग है, जो यौन संपर्क के कारण होता है। अगर इसका समय पर इलाज ना किया गया तो नपुंसक होने की संभावना भी रहती है। सफेद मूसली के चूर्ण का सेवन करने से सुजाक में लाभ मिलता है।
बीज या प्लान्टिंग मेटेरियल हेतु मूसली का संग्रहण
मूसली की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं जैसे-क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम, क्लोराफाइटम ट्यूबरोजम, क्लोरोफाइटम अरुन्डीनेशियम, क्लोरोफाइटम एटेनुएटम, क्लोरोफाइटम ब्रीविस्केपम आदि, परन्तु मध्यप्रदेश के जंगलों में अधिकांशत- उपलब्धता क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम तथा ट्यूबरोज़म की ही है। इन दोनों में मुख्य अंतर यह है कि ट्यूबरोज़म में क्राउन के साथ एक धागा जैसा लगा होता है तथा उसके उपरांत इसकी मोटाई बढ़ती है, जबकि बोरिविलिएनम में कंद के फिंगर की मोटाई ऊपर ज्यादा होती है या तो पूरी फिंगर की मोटाई एक जैसी रहती है अथवा यह नीचे की ओर घटती जाती है। चूँकि ट्यूबरोज़म के संदर्भ में छिलका उतारना कठिन होता है अत: यह खेती के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती अस्तु अधिकांशत: क्लोरोफाइटम बोरिविलिएनम की ही खेती की जाती है।
सफ़ेद मूसली का मुख्य रूप से प्रयोग यौन क्षमता और शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
सेवन करने से पहले चिकित्सक से इसकी खुराक निर्धारित करवा ले। क्योंकि इसकी खुराक उम्र, लिंग और रोग के अनुसार ही लेनी चाहिए।
आइए, अब सफेद मूसली से होने वाले नुकसान के बारे में भी जान लेते हैं।
जड़ीबूटी अश्वगंधा के फायदे, नुकसान व सेवन कैसे...
सफेद मुसली एक महत्वपूर्ण रसायन तथा एक प्रभाव वाजीकारक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग खांसी, अस्थमा, बवासीर, चर्मरोगों, पीलिया, पेशाब संबंधी रोगों, ल्यूकोरिया आदि के उपचार हेतु भी किया जाता है। हालांकि जिस प्रमुख उपयोग हेतु इसे सर्वाधिक प्रचारित किया जाता है। वह है-नपुंसकता दूर करने तथा यौनशक्ति एवं बलवर्धन। मधुमेह के उपचार में भी यह काफी प्रभावी सिद्ध हुआ है। इसका प्रयोग स्त्रियों में दूध बढ़ाने, प्रसव के बाद होने वाले रोग, मधुमेह, नपुसंकता आदि बीमारियों में किया जाता है। इस का पौधा जंगलों में वर्षा ऋतु के प्रारंभ होने पर उगता है। इसे आदिवासी इक्क्ठा करके बाजार में बेच देते हैं। जड़ी बूटियों की अधिक मांग होने के here कारण इसका वनों से अधिक दोहन होने के कारण विलुप्त होने के कगार पर है।
सफेद मूसली का उपयोग शरीर में हार्मोन के उत्पादन के लिए किया जाता है। यह टेस्टोस्टेरोन नामक बहुत जरूरी हार्मोन के शरीर में संतुलित उत्पादन के लिए ली जाती है जो यौन उत्तेजना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह ताकत और ऊर्जा को बढ़ाने का काम करती है। टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने के असर के कारण यह बॉडीबिल्डिंग में भी ली जाती है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि सफेद मूसली शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) बढ़ाने में मदद करती है , हालांकि इसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलते हैं। लेकिन यह बात पूरी तरह सच है कि सफेद मूसली के सेवन से स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार होता है और इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ती है जिससे शुक्राणु पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं।
सफेद मुसली के इतने फायदे होने की वजह से सफेद मुसली के बहुत से उपयोग हैं। जानते है सफ़ेद मूसली के उपयोग।
गर्भावस्था के दौरान इसे लड्डू और मिठाई के रूप में लिया जा सकता है।
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